उत्तराखंडदेहरादून

मानव भारती स्कूल के छात्र-छात्राओं ने जाना, कैसे होती है गन्ने की खेती 

मानव भारती स्कूल देहरादून के छात्र-छात्राओं ने सिमलास ग्रांट में गन्ने की खेती और गन्ने से जुड़ी कई जानकारियां हासिल कीं। डोईवाला गन्ना कृषक सहकारी समिति के क्षेत्रीय पर्यवेक्षक सुनील कुमार सहित गन्ना किसानों ने छात्र-छात्राओं के खेती से जुड़े प्रश्नों के जवाब दिए।

मानव भारती स्कूल के नेचर कनेक्ट प्रोग्राम के अंतर्गत कक्षा नौ के 40 छात्र-छात्राओं ने सिमलास ग्रांट में श्रीमती कौशल्या बोरा फाउंडेशन से जुड़े किसानों से मुलाकात की।

प्रगतिशील किसान उमेद बोरा, रिटायर्ड प्रिंसिपल जितेंद्र कुमार, कैप्टन (सेवानिवृत्त) चतर बोरा, भगवान सिंह, सूबेदार (सेवानिवृत्त) राम सिंह, नरेंद्र सिंह ने छात्र-छात्राओं को दूधलीघाटी क्षेत्र में गन्ने की पैदावार, कुल क्षेत्रफल, गन्ने की प्रजातियों, गन्ना किसानों के समक्ष चुनौतियों तथा गन्ने की खेती में लागत एवं आय के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने सुसवा नदी में प्रदूषण से खेती पर विपरीत प्रभाव के साथ सीमित भूमि में इंटीग्रेटेड फार्मिंग की आवश्यकता तथा इससे जुड़े लाभ की जानकारी दी।

छात्र-छात्राओं ने फील्ड विजिट किया, जहां उन्होंने किसानों को गन्ने की रोपाई करते देखा। गेहूं के खेत में गन्ने की रोपाई के लाभ जाने और मिश्रित खेती में गन्ने के साथ किन फसलों को उगाया जा सकता है, के बारे में जानकारी ली।

गन्ना किसानों ने बताया कि गन्ना किसान सहकारी समिति के माध्यम से लगभग 8000 गन्ना किसान चीनी मिल को गन्ना उपलब्ध कराते हैं। समिति ही चीनी मिल तक गन्ना पहुंचाने तथा मिल और किसानों के बीच एक सेतु की तरह काम करती है।

छात्र-छात्राओं ने सिमलास ग्रांट में मछलीपालन, मुर्गीपालन, बत्तख पालन तथा बागवानी एवं कृषि की एक दूसरे पर निर्भरता यानी इंटीग्रेटेड फार्मिंग का भी भ्रमण किया। छात्र छात्राओं ने सुसवा नदी में प्रदूषण की स्थिति को जाना और नदियों तथा आसपास के पर्यावरण की सुरक्षा की शपथ ली। यह भ्रमण शिक्षक पवन कुमार, डॉ. बबीता गुप्ता एवं विशाल रतूड़ी के निर्देशन में हुआ

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