भारतीय नौसेना के पूर्व कैप्टन सौरभ वशिष्ठ को कतर में मौत की सजा सुनाई गई थी। सजा सौरभ को मिली, लेकिन उसे पल-पल भुगता दून में रह रहे उनके माता-पिता ने। सजा-ए-मौत के बाद सौरभ को रिहाई मिली तो सोमवार तड़के साढ़े तीन बजे उन्होंने अपने पिता को कॉल किया।
फोन पर ‘पापा…. मैं सौरभ बोल रहा हूं‘। यह सुनते ही दून के आरके वशिष्ठ की आंखें छलक उठीं। यह आवाज उनके बेटे सौरभ वशिष्ठ की थी जो कतर की जेल से छूटकर दिल्ली में उतरे थे। आरके वशिष्ठ का हाल जुबिन नौटियाल के एक एलबम में फिल्माए सीन जैसा था। जिसमें वर्षों से गायब सैनिक पुत्र के घर आने की पिता को सूचना मिलती है, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता।
सौरभ के पिता आरके वशिष्ठ ने बताया कि उनके बेटे से दिल्ली में रहने वाले परिवार के लोग मिले हैं। उन्होंने सौरभ को फोन उपलब्ध करा दिया है। फोन पर सौरभ परिवार के लोगों के लगातार संपर्क में हैं। मंगलवार देर शाम तक उनके दून पहुंचने की उम्मीद है।
सौरभ के पिता ने बेटे की रिहाई का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया। उन्होंने कहा कि यदि पीएम मोदी और भारत सरकार उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप और निरंतर राजनयिक प्रयास नहीं करती तो उन्हें रिहा नहीं किया गया होता।