मथुरा

साहब अब तो धर्म बताने में डर लगता है ….

मथुरा। भारत को आजाद हुए लगभग 75 वर्ष हो चुके हैं और 1947 में धर्म के आधार पर ही भारत का विभाजन हुआ और एक नए देश का जन्म हुआ जिसको हम सभी भारतीय पाकिस्तान के नाम से जानते हैं। भारत की संविधान की प्रस्तावना में सेकुलर शब्द का इस्तेमाल किया गया है जिसमें यहां सभी धर्म बराबर हैं और सभी धर्म को बराबर का सम्मान दिए जाएगा लेकिन 01 दिन पहले धर्म पूछ कर पहलगाम में हिंदू पर्यटकों के नरसंहार ने इसे झूठ ठहरा दिया है। इस्लामिक आतंकवाद का रक्तरंजित कायराना चेहरा उजागर कर दिया है। भारतीयों में गम के साथ गुस्सा है और उन मां का दुख हरदय को चीर रहा है जिन्होंने असमय अपने लालो को को दिया है।हिंदुस्तान के हर कोने से आतंकवादियों को सबक सिखाने की मांग उठ रही है।

देश में पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और भारत के प्रधानमंत्री , नरेंद्र मोदी सऊदी अरब का अपना दौरा बीच में छोड़कर भारत लौट आए हैं। इस घटना के तुरंत बाद अमित शाह, गृहमंत्री ने श्रीनगर पहुंच कर शहीद पर्यटकों को श्रद्धांजलि दी।उन्होंने पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी और उस स्थान का जायजा लिया, जहां आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया था।क्या यही स्वर्ग है तब भैया ऐसा स्वर्ग हमको नहीं चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री की प्रतिक्रियाओं में आक्रोश और दोषियों को सबक सिखाने के संकेत साफ दिख रहे हैं। भारत आतंकवाद से मुक्ति चाहता है और उसको इसके लिए कुछ कड़े कदम उठाने होंगे हम देख रहे हैं कि हमारा पड़ोसी मुल्क बार-बार फन उठाता है और देश को वीर योद्धाओं की बलि देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है व उनके बलिदानों से देश की सीमाओं को सुरक्षित रखा जाता है चाहे वह मुंबई में ताज होटल पर हमला हो या कारगिल का युद्ध। आज समय की मांग है कि भारत छुटपुट सर्जिकल स्ट्राइक से आगे बढ़कर पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाए कि भविष्य में फिर ऐसी हिमाकत वह न कर सकें।

अब निर्विवाद रूप से यह तो तय है कि यह आतंकवादी हमला प्रायोजित है और धीरे-धीरे इसके पुख्ता प्रमाण भी सामने आ रहे हैं।पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने हाल ही में हिंदू-मुस्लिम धर्म के आधार पर तकरीर करते हुए हिंदुओं के लिए हेट स्पीच दी थी. यह देश आज अपने आंतरिक संकटों से ग्रस्त है और सेना के खिलाफ खुला विद्रोह हो रहा है। बलूचिस्तान तो सेना के हाथों से निकलने को तड़प रहा है और बलूच आर्मी ने इनकी नाक में दम कर रखा है।पीओके में भी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं। इस देश की अर्थव्यवस्था रसातल में पहुंच गई है और महंगाई सारी सीमाएं पार कर चुकी है। यहा लोगों का जीना दूभर हो गया है।

पाकिस्तान के आर्मी चीफ को अमेरिका ने अपने देश में घुसने नही देता और यह देश कटोरा लेकर भीख मांग रहा है। इसकी धार्मिक आतंकवादी एक्टिविटीज के कारण ही यह दुनिया में अलग-अलग पड़ा हुआ है। अब बात कश्मीर में शांति बहाली की है और यह देखना लाजमी होगा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समस्या का निराकरण किस प्रकार करते हैं यह समस्या भस्मासुर बनकर देश में अराजकता फैला रही है और क्या आज अपने ही देश में हम भारतीयों को धर्म बता कर रहना पड़ेगा यह सोचा नहीं था।

दोनों देश भारत और पाकिस्तान वर्ष 1947 में एक साथ आजाद हुए और इन दोनों की प्रगति में 75 वर्ष बाद जमीन आसमान का अंतर है।आजादी के समय अगर धर्म पर बंटवारा हो गया था तो इसे पूरी तरह से अमल में लाना था लेकिन ऐसा राजनीतिक कारणों से नहीं हुआ और उसका खामियाजा आज भारत भुगत रहा है, अगर बंटवारे को सही लागू किया होता तो भारत आज अमेरिका से ज्यादा विकसित देशों की श्रेणी में होता और दूसरी तरफ पाकिस्तान के हालात सीरिया से भी बदतर होते।

आज इजरायल भारत के लिए मॉडल हो सकता है जिसने इस्लामी आतंकवाद का जितने लंबे समय तक और जिस ताकत के साथ इस देश ने मुकाबला किया है, इसका दूसरा कोई उदाहरण नहीं हो सकता।भारत के साथ भी पड़ौसी पाकिस्तान वैसे ही आतंकवादी गतिविधियां करता है, जैसा इस्लामी आतंकवादी संगठन इजराइल में करते हैं लेकिन भारत अपनी नैतिक सीमाओं में खुद अपने को बाँध लेता है, यही भारत की कमजोरी साबित हो जाती है. पाकिस्तान के साथ जब भी युद्ध हुआ है तब भारत की सेना ने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है. लेकिन हर बार कूटनीतिक रूप से भारत की सरकारें पाकिस्तान को कोई न कोई रास्ता दे देती हैं.

हम देख रही है कि हमारे पड़ोस में बांग्लादेश ,पाकिस्तान ,नेपाल सब जगह हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और हिंदुओं को डर के माहौल में जीवन यापन करना पड़ रहा है।पहलगाम की इस आतंकवादी घटना ने भी हिंदू धर्म को टारगेट किया गया है।इन आतंकवादियों ने पर्यटकों का धर्म पूछ कर गोली मारी और जब उन्हें धर्म स्पष्ट नहीं हुआ तो उन्होंने पहचान पत्र भी देखा।यहां तक कि कलमा पढ़ने के लिए भी कहा गया।

धर्म के नाम पर अगर इतना बड़े धार्मिक नरसंहार को अंजाम दिया जा सकता है, तो फिर अधर्म के नाम पर तो कुछ करने की जरूरत नहीं है.।अगर आतंकवादियों के लिए यह धर्म की बात है तो फिर उनके लिए अधर्म की बात क्या हो सकती है? आतंकवादी घटना के खिलाफ़ जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसी घटना कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर हमला है।अगर कश्मीर में पर्यटन बंद हो जाएगा तो फिर इस जन्नत में जीना मुहाल हो जाएगा और पाकिस्तान यही चाहता है कि कश्मीरियों की प्रोस्पेरिटी को बाधित किया जाए जिससे फिर उनमें पाकिस्तान की गुलामी की मनोवृति विकसित हो।

अब तो यह सोचने की कोई गुंजाइश ही नहीं है कि आतंकवाद का कोई धर्म होता है।भारत वैसे भी हमेशा मानता रहा है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता लेकिन इस बार तो आतंकवादियों ने सारी हदें पार कर दी। केंद्र सरकार का स्पष्ट मानना है कि आतंकवाद और संवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। इस आतंकवादी घटना के बाद अब तो भारत और पाकिस्तान के बीच आत्मरक्षा के युद्ध का माहौल है। इस आतंकवादी घटना का दिल दहलाने वाला दृश्य पूरे विश्व और भारत ने देखा है और सभी ने एक स्वर में इसकी निंदा की है। एक भारतीय नारी अपने पति को गोली लगने के बाद आतंकवादियों से गुहार लगाती सुनाई पड़ रही है कि उसे भी गोली मार दें , लेकिन आतंकवादी कह रहे हैं कि उसे नहीं मारेंगे वह जाकर मोदी को बताएं।

भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है और वह हमेशा पड़ोस में शांति चाहता है लेकिन अत्यधिक शांति की चाहत भी कई बार घातक साबित होती है और इसका स्वयं को भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ता है ।अब यह देखना होगा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई करते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी भारत के विश्वास के प्रतीक हैं और वह इस आतंकवादी हमले से भारत मां के सीने पर हुए घाव को कैसे भरते है यह भविष्य के गर्त में है। देश की 125 करोड़ जनता प्रधानमंत्री से आश लगाकर बैठी है कि वह उचित कदम उठाएंगे और देश की नागरिकों की भावनाओं का सम्मान करेंगे।

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