मथुरा

कृषि योग्य जमीनों पर विकसित होती अवैध कॉलोनी, जिम्मेदार मौन…?

मथुरा ( सतीश मुखिया)।  वैसे तो भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा की अपनी पहचान है लेकिन वर्ष २०१७ में नगर पालिका से नगर निगम मथुरा वृंदावन बनने के बाद और शहरी क्षेत्र में विस्तार करने के उपरांत 17 से 18 पंचायत को मथुरा शहर में शामिल किया गया। जिसके कारण जमीनों के रेट में अचानक आई बेतहाशा वृद्धि के कारण भू माफिया की नजर मथुरा पर पड़ी और जमीनी कारोबारियो ने अपने प्रोजेक्ट मथुरा में लॉन्च किए। यहां आवा गमन के सुगम साधन होने और मथुरा से रेल, बस से कही भी जाने की सुविधा से मथुरा विकास की ओर अग्रसर है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 पर बसा हुआ है इसकी एक तरफ राजस्थान का भरतपुर जिला और दूसरी तरफ हरियाणा का पलवल जिला लगता है।हर व्यक्ति गांव छोड़कर शहर में बसना चाहता है इसके लिए वह कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है।

जब वह शहर आता है तो यहां पर एक घर बनाना चाहता है तो यही से शुरू होता है उसका शोषण जो कि जो कि भू माफिया और प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा इन लोगों को सस्ते दाम पर प्लाट और घर बनाने का वादा करके किया जाता है। डीलर द्वारा कृषि योग्य जमीनों पर इनको प्लॉट दे दिए जाते हैं। यह विभिन्न ऑफरों के तहत और किस्तों पर इन लोगों को प्लाट देने का वादा करते हैं जिसमें ना तो बिजली होती है, ना सड़क पानी सीवर, कुछ नहीं होता। जनता सस्ती जमीन और मकान के मोहपास में फंसकर और बच्चों को उच्च शिक्षा देने की चलते इन कॉलोनी में प्लॉट ले लेती है । प्रॉपर्टी डीलर जमीन बेचने के बाद वहां से चले जाते हैं और उन लोगों की जिंदगी अब शुरू होती है क्योंकि इन कॉलोनी में ना तो कोई विकास होता है और ना ही कोई सुविधा। कृषि योग्य जमीनों पर अवैध कालोनी बसाने से रोकने की जिम्मेदारी मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण की है जो कि शहरी विकास मंत्रालय, उत्तर प्रदेश के अधीन आता है लेकिन सत्ता पक्ष और रसूख के चलते प्रशासन अपनी आंखें मूंद लेता है और उसे तरफ देखा नहीं है।

जब कोई जिम्मेदार नागरिक इनको शिकायत करता है तो यह उसको डरा धमकाकर और पुलिस द्वारा प्रताड़ित करवा कर उसको चुप कर देते हैं लेकिन उसके शिकायत करने के उपरांत यह भू माफिया और बिल्डरों को नोटिस देकर अपनी खानापूर्ति कर लेते हैं। एक तरफ केंद्र सरकार और राज्य सरकार शहर का विकास करना चाहती है और शहरों को स्मार्ट बनाना चाहती है लेकिन दूसरी तरफ एक शहर के अंदर बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें और दूसरी तरफ बेतरतीव होता विकास जो कि शहर के मुंह पर तमाचा मारता है। यह कालोनियां नगर निगम मथुरा वृंदावन की सीमा के अंतर्गत और उनसे सटी पंचायत के मौजो में खुले आम काटी जा रही है जब आप राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या: 19 से बाहर निकलेंगे तब आपको जगह-जगह सस्ती कॉलोनी के विज्ञापन नजर आएंगे।

यह कॉलोनी आपको जैत, छटीकरा , बाटी , बाजना, फेंचरि, मोरा,सकना, खामिनी ,लाडपुर, ऊंचा गांव, चंदन नगर, कुंज नगर ,कोटा , गणेशरा ,सतोहा असगरपुर आदि में विकसित होते हुए मिल जाएं तो अचरज नहीं होना चाहिए। सरकार द्वारा नियुक्त जिम्मेदार एक दूसरे पर अपनी जिम्मेदारियां थोप कर अपने आप को बचाने में संलग्न है चाहे वह राजस्व विभाग हो, नगर निगम मथुरा वृंदावन या मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण…!

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