Joshimath Cracks: जोशीमठ में पहाड़ धंस का जिम्मेदार कौन? जानिए पूरा मामला
उत्तराखंड के जोशीमठ में बड़े पैमाने पर चल रहीं निर्माण गतिविधियों के कारण इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है। स्थानीय लोग इमारतों की खतरनाक स्थिति के लिए मुख्य रूप से नेशनल थर्मल पावर प्लांट (एनटीपीसी) की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लोगों का मानना है कि, दशकों से एनटीपीसी के लिए खोदी जा रही सुरंग इस भयावह स्थिति के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
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जोशीमठ जिस अलकनंदा और धौली गंगा के संगम के बाएं पहाड़ी ढलान पर बसा है। उस संगम को विष्णु प्रयाग कहते हैं। बदरीनाथ के ऊपर से आ रही अलकनंदा विष्णुप्रयाग में हल्के के दाएं कट जाती है। धौली गंगा यहां पर उससे समकोण पर मिलती है। धौली गंगा की तरफ जाने पर करीब 15 किलोमीटर ऊपर एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट है। फरवरी 2021 में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़ में यह पूरा प्रोजेट तहस नहस हो गया था। इस प्रोजेक्ट साइट के पास एक सुरंग बनाई जा रही है, जिसे अलकनंदा से कनेक्ट करने का काम चल रहा है। बांध के पानी को वैकल्पिक रास्ता देने के लिए इस तरह की सुरंगे बनाई जाती हैं। यही अधबनी सुरंग सबके निशाने पर है। स्थानीय लोगों से लेकर जोशीमठ को बचाने की मुहिम में लगे लोग इस सुरंग को कोस रहे हैं। सरकार से ज्यादा गुस्सा लोगों का इस सुरंग और एनटीपीसी पर दिख रहा है। हर किसी की जबान पर एनटीपीसी की इस सुरंग का जिक्र एक बार आ ही जाता है।
इस सुरंग में एक टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन, मेट्रो की सुरंग खोदने वाली मशीन से भी विशालकाय) दलदल में फंसी हुई है। एनटीपीसी के लिए यह मशीन गले की हड्डी की तरह बन गई है। न निगलते बन रही है, उगलते। इस सुरंग में कभी ड्राइवरी करने वाले एक गांववाले ने बताया कि इस मशीन को निकालने के लिए सुरंग के अंदर गलत तरीके से बड़े बड़े ब्लास्ट किए गए। स्थानीय ऐक्टिविस्ट भी इस सुरंग को आगे न खोदने की मांग कर रहे हैं। जोशीमठ में बढ़ती दरारों के कारण इस सुरंग का काम भी रोक दिया गया है।