राष्ट्रीय

देश तभी सही मायने में विकसित होगा जब विकास की मुख्यधारा में होंगे आदिवासी समुदाय- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 

आदिवासी समाज ने सदियों से देश की सभ्यता और संस्कृति को समृद्ध किया- राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने आदिवासी महिलाओं की बढ़ती आत्मनिर्भरता की भी सराहना की

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासी समुदायों की प्रगति और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि देश तभी सही मायने में विकसित होगा जब आदिवासी समुदाय भी विकास की मुख्यधारा में होंगे। इतना ही नहीं राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी समुदायों की प्रगति को राष्ट्रीय प्राथमिकता भी बताया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उनके लिए विकास के अवसर बढ़े। उन्होंने आज 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती से पहले आदिवासी गौरव दिवस को लेकर यह बातें कहीं। बता दें कि आज के दिन यानी 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी गौरव दिवस के तौर पर मनाया जाता है। बिरसा मुंडा को ‘धरती आबा’ के नाम से जाना जाता है और इस दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समुदायों के योगदान को सम्मानित किया जाता है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज ने सदियों से देश की सभ्यता और संस्कृति को समृद्ध किया है। इस संदर्भ में उन्होंने रामायण का उदाहरण दिया, जिसमें भगवान राम ने वनवासियों को अपनाया और वनवासियों ने भी भगवान राम को अपनाया। उन्होंने कहा आदिवासी समाज में पाई जाने वाली आत्मीयता और सद्भाव की भावना हमारी संस्कृति और सभ्यता का आधार है। राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि आदिवासी समुदायों को अब बुनियादी सुविधाएं जैसे आवास, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार मिल रहे हैं, जो पहले नहीं थे। उन्होंने बताया कि इसके परिणामस्वरूप आदिवासी लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है और उन्हें आर्थिक विकास के अवसर भी मिल रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान सरकार आदिवासी समुदायों के विकास के लिए कई बड़े अभियान चला रही है। उन्होंने कहा हमारा देश तभी सही मायने में विकसित बनेगा, जब हमारे आदिवासी भी विकसित होंगे। आदिवासी समुदाय के लोगों की प्रगति हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है। हम चाहते हैं कि उनका पुराना रूप बरकरार रहे और वे साथ ही साथ आधुनिक विकास की दिशा में भी आगे बढ़ें। उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासी समाज में एक नई चेतना फैल रही है जो उनके गौरव और संविधान के आदर्शों को मान्यता देती है।

इसके साथ ही राष्ट्रपति ने आदिवासी महिलाओं की बढ़ती आत्मनिर्भरता की भी सराहना की। खासकर वे जो स्वयं सहायता समूहों और अन्य विकास योजनाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की बात कही कि राष्ट्रीय योजनाओं का लाभ सभी आदिवासी लाभार्थियों तक समय पर पहुंचे।

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