
हाईकोर्ट ने किशोर अवस्था में युवक- युवातियों के विवाह करने और सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। पूर्व में सुनवाई में कोर्ट ने मामले में सचिव बाल कल्याण चंद्रेश यादव को कोर्ट में तलब किया था जो आज कोर्ट में पेश हुए।
कोर्ट ने चंद्रेश कुमार को एक इस संबंध में लोगों को जागरूक करने व पॉक्सो अधिनियम की गंभीरता समझाने के लिए दो सप्ताह में योजना बना कर कोर्ट में प्रस्तुत करने तथा इन कार्यक्रमों को विभिन्न सम्बंधित विभागों के माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों में नाटकों, लघु फिल्मों जैसे तरीकों के माध्यम से आयोजित करने के निर्देश दिए।
मामले में 19 साल के युवक ने अपनी उम्र की एक लड़की से विवाह करने के बाद कोर्ट से युवती के परिजनों से सुरक्षा की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है, जहां अक्सर याचिकाकर्ता किशोर होते हैं यद्यपि अपने जीवन साथी को चुनने के अधिकार को कानूनी मान्यता है, लेकिन नाबालिग बच्चों में विवाह की प्रवृत्ति बढ़ रही है जबकि ऐसी कम उम्र में जिम्मेदारी की भावना होना मुश्किल होता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां लड़की के माता -पिता के दावे के अनुसार बेटी नाबालिग निकली और इस आधार पर युवक को पॉक्सो अधिनियम के तहत गंभीर सजा हो गई और विवाहिता अकेली रह गई। कई मामलों में तो विवाह के बाद युवती मां भी बन गई और पति पॉक्सो में जेल चला गया या परिपक्व होने के बाद युगल अलग हो गए और बच्चा निराश्रित हो गया।